अपने धर्म का सम्मान हर कोई करता है और धर्म के विरुद्ध कोई नहीं जाता। हर धर्म में रिश्तों का अलग महत्व है, लेकिन एक समानाता जो सभी धर्मों में देखी जाती है, वो है रिश्तों का सम्मान करना है। आज के इस लेख में हम इस्लाम धर्म में शादी से जुड़े कुछ नियमों के बारे में बात करने वाले हैं।
आपने अक्सर सुना होगा कि मुस्लिम समुदाय में व्यक्ति को अपनी चचेरी बहन से शादी की अनुमति होती है, लेकिन कुछ ऐसे रिश्ते भी हैं, जिन्हें बेहद पवित्र समझा जाता है और इन रिश्तों में व्यक्ति को शादी की मंजूरी नहीं होती। एक खबर की मानें, तो दुनिया में लगभग 45 प्रतिशत ऐसे जोड़े हैं, जिन्होंने अपने चचेरे भाई-बहन से शादी की है। यहां तक कि भारत में भी ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं।
सगी बहन से शादी की इजाजत नहीं
इस्लाम धर्म में किसी भी इंसान को अपने चचेरे भाई या बहन से शादी की इजाजत है, लेकिन सगी बहन से नहीं। विज्ञान भी इस बात का समर्थन करता है कि सगे भाई-बहन शादी एक खतरनाक रिश्ता हो सकता है।
विज्ञान के अनुसार अगर सगे-भाई बहन की शादी हो जाये, तो उनके बच्चों में वंशानुगत समस्या आ सकती है, क्योंकि दोनों के जीन्स एक होते हैं। ऐसे में संभावनाएं हैं कि उनके बच्चों में वो जीन्स दुगने हो जाये और बच्चे को खतरनाक वंशानुगत समस्याओं का सामना करना पड़े।
इन रिश्तों में नहीं हो सकती शादी
कुरान में भी कुछ रिश्तों की व्याख्या है, जिनसे विवाह करने की इजाजत नहीं हैं। इनमें व्यक्ति अपनी मां या सौतेली मां, जिसने उसका लालन-पालन किया हो, अपनी खुद की बेटी, अपने पिता की बहन यानी कि बुआ और सगी बहन से शादी नहीं कर सकता। ये पांच रिश्ते काफी पाक माने गये हैं और इनमें शादी की मंजूरी नहीं है। चचेरे भाई-बहन से शादी की अनुमति देश के कई देशों में इस्लाम धर्म के अलावा और भी कुछ धर्मों में दी गयी है।