इंसान के कर्मों के आधार पर मृत्यु के बाद होने वाली उसकी नीयति निर्धारित होती है। आपने अक्सर सुना होगा कि मृत्यु के बाद व्यक्ति स्वर्ग या नर्क में से किसी एक जगह जाता है और ये उसके अपने जीवन में किये गये कर्मों के द्वारा निर्धारित होता है। अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग का सुख मिलता है, जबकि बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को नर्क की आग में जलना होता है।

स्वर्ग और नर्क के अंतर पर और इसे भोगने वाले लोगों और उनके कर्मों पर अब तक कई महापुरूषों ने अपनी राय रखी है। आचार्य चाणक्य ने भी कुछ ऐसे कर्म करने वाले लोगों को सूचिबद्ध किया है, जो निश्चित गी मृत्यु के बाद नर्क में जाते हैं। आइये जानते हैं कि आचार्य चाणक्य के अनुसार कैसे लोग नर्क में जाते हैं….
लालच करने वाले
आचार्य चाणक्य के मुताबिक जो लोग जिंदगी भर लालच करते हैं या पैसों के पीछे भागते रहते हैं, उन्हें नर्क ही नसीब होता है। इसके अलावा जो लोग अपनी लालसा पूर्ण करने के लिये दूसरों को तकलीफ पहुंचाते हैं या गलत तरीके से पैसे कमाते हैं, उन्हें भी मृत्यु के पश्चात नर्क भोगना पड़ता है।
बड़ों का अनादर करने वाले
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि खुद से बड़े-बुजुर्गों का अनादर करने वाले, उनसे ऊंची आवाज में बहस करने वाले या उन्हें नीचा दिखाने वाले लोग कभी स्वर्ग में नहीं जा सकते। जो लोग अपेन माता-पिता या उन्हीं के समान लोगों को अपमान करते हैं उन्हें नीयति नर्क की आग में धकेल देती है और उन्हें अपने कर्मों की सजा वहीं मिलती है।
महिलाओं को ठेस पहुंचाने वाले
जो व्यक्ति जीवन में महिला का सम्मान नहीं करता उसे भी मृत्यु के बाद नर्क का दरवाजा देखना पड़ता है। जो व्यक्ति अपनी पत्नी, बेटी, मां, बहन या दूसरी औरतों को असम्मान की नजरों से देखता है या उन्हें खुद से कम आंकने की भूल करता है, वो भी इसी सूचि में आता है।
बुरे कर्म करने वाला
जो व्यक्ति जिंदगी भर बुरे कर्म करता है, वो तो निश्चय ही मृत्यु के बाद नर्क में जाता है। ऐसे लोग दूसरों की हत्या, चोरी, डकैती, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार जैसे बुरे कामों में लगे रहते हैं।