Chanakya Niti: नीतिशास्त्र के मूर्धन्य विद्वान आचार्य चाणक्य ने धन के अपव्यय को सर्वथा अनुचित माना है। लेकिन आचार्य ने यह भी कहा है कि न्याय संगत परिस्थितियों के अनुकूल धन खर्च करना हमेशा श्रेयस्कर होता है और हमारे कर्म और संस्कार को पुष्ट करता है।
आचार्य ने अपने नीतिशास्त्र में उन जगहों का उल्लेख किया है जहां धन खर्च करना चाहिए। चाणक्य ने कुछ ऐसे जगहों पर धन खर्च करने के बारे में बताया है जिससे मनुष्य के जीवन में कभी पैसों की समयसा नहीं आती है।
धर्म स्थल से संबंधित स्थान
आचार्य कहते हैं कि धार्मिक स्थल पर किया गया धन का व्यय दान पुण्य की श्रेणी में आता है। ऐसी जगह पर दान किए गए पैसों का उपयोग धर्म कर्म में तथा गरीबों को भोजन कराने में होता है। इस पैसे को मंदिर के रखरखाव व संचालन पर भी खर्च किया जाता है। अतः धर्मार्थ कार्य के लिए किए गए धन व्यय से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
निर्धन और जरूरतमंद की मदद के लिए
हमारे पैसे से जब किसी भूखे का पेट भरता है, किसी गरीब का तन ढकता है या किसी बेसहारे को सहारा मिलता है तो ऐसे कार्य पूजा-पाठ और कर्मकांड से अधिक श्रेयस्कर होते हैं। ऐसा कर्म करके हमें आत्म संतोष तो मिलता ही है परमात्मा भी प्रसन्न होकर इन कार्यों का पुण्य फल हमें प्रदान करते हैं।
समाज सेवा और सामाजिक हित के कामों के लिए
आचार्य अपने नीति वाक्य में कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मेहनत से अर्जित आय का एक हिस्सा सामाजिक हित के कार्यों में लगा देना चाहिए जैसे सार्वजनिक चिकित्सालय, गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल तथा मार्ग में राहगीरों के लिए प्याऊ या पीने के पानी की व्यवस्था हेतु नल लगवा देना चाहिए। ये कुछ ऐसे पुण्य के काम हैं जहां धन व्यय करने से आपको लोगों की दुआएं और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
किसी बीमार की चिकित्सा के लिए
आचार्य कहते हैं कि यदि ऊपर वाले ने हमें आर्थिक रूप से सक्षम बनाया है तो हमें किसी लाचार बीमार के इलाज के लिए खर्च करने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए। संभव है मदद के अभाव में या बिना इलाज के उसे जीवन से हाथ ही धोना पड़ जाए। ऐसी दशा में उस समय हमारे पास पछतावे के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। अत: इन विकट परिस्थितियों में किसी की मदद करने से बिल्कुल ना चूकें।
इस प्रकार नीतिशास्त्र के आदि गुरू चाणक्य ने अपने नैतिक सिद्धांतों में धन के व्यय और अपव्यय की बहुत सुंदर और सटीक व्याख्या की है। चाणक्य के अनुसार अगर मनुष्य उन स्थानों पर पैसा खर्च करता है तो उनके जीवन में कभी पैसों की समस्या नहीं होगी।