Chanakya Niti: इन 3 स्थानों पर माता लक्ष्मी सबसे अधिक करती है निवास, वहां के लोगों को कभी नहीं होती पैसों की कमी

धन धान्य से संपन्न होना मानव जीवन का सुख:द व्यवहारिक सत्य है। यदि हम आर्थिक रूप से मजबूत हैं तो समाज में मान और प्रतिष्ठा भी बरकरार रहती है। आचार्य चाणक्य ने कूटनीति और राजनीति के अलावा अर्थनीति पर भी बहुत विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए हैं।

Chanakya Niti
WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now

आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिगत विचारों में मानव जीवन को सफल बनाने के लिए कुछ ऐसे नियमों का उल्लेख किया है जिनका अनुसरण कर जीवन में सफलता के नए आयाम गढ़ा जा सकता है।

आचार्य का मत है कि चंचल मन वाली लक्ष्मी को स्थिर रखना आसान नहीं है। लेकिन कुछ विशेष स्थानों पर लक्ष्मी स्थायी वास करना चाहती हैं और ये स्थान हमारे स्वभाव और परिवेश से ही निर्धारित होते हैं। इस संदर्भ में लक्ष्मी के स्थायित्व के कुछ मुख्य कारकों पर आचार्य चाणक्य ने प्रकाश डाला है-

1. प्रेम में वास है मां लक्ष्मी का

पति पत्नी के आपसी रिश्ते का असर पूरे परिवार पड़ता है। यदि पति पत्नी में प्रेम का अभाव व आपसी तालमेल की कमी है तो घर में हमेशा अशांति बनी रहेगी। ऐसे वातावरण को मां लक्ष्मी अपना अपमान मानती हैं और वहां से शीघ्र चली जाती हैं। इसके विपरीत परस्पर प्रेम व सौहार्द वाले घर में मां लक्ष्मी वास करना चाहती हैं।

2. सद्गुणों के समीप रहती हैं मां लक्ष्मी

आचार्य चाणक्य का मत है कि ज्ञान का झूठा दंभ भरने वाले लोगों से मां लक्ष्मी दूर चली जाती हैं। इसके विपरीत गुणवान और सद्गुणी परिवार में लक्ष्मी सहर्ष निवास करती हैं।

4. अन्न के समुचित संग्रह से प्रसन्न होती हैं लक्ष्मी

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस घर के भंडारगृह में समुचित रूप से अनाज और खाने-पीने की चीजों की व्यवस्था रहती है, वहां मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं और उस परिवार को धन धान्य से परिपूरित रखती हैं। आचार्य चाणक्य के उपर्युक्त विचारों का अनुपालन कर हम दैनिक जीवन में सुख समृद्धि का अनुभव करते हुए मां लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।

error: Alert: Content selection is disabled!!