चाणक्य नीति आचार्य चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रंथ है जिसमे जीवन को सफल और सुखमय बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिए गए हैं। इस ग्रंथ का मुख्य विषय मानव समाज को जीवन के हर एक पहलू से अवगत कराना है। चाणक्य एक महान ज्ञानी थे, जिन्होंने अपनी नीतियों की बदौलत चंद्रगुप्त मौर्य को राजा की गद्दी पर बैठा दिया था।
आचार्य चाणक्य की नीतियों के अनुसार यदि व्यक्ति को तरक्की करनी है, परेशानी से बचना है और सुखपूर्वक जीवन यापन करना हो तो कुछ जगहों पर बिल्कुल नहीं रहना चाहिए। आइये जानते हैं कौन सी है वे जगहे जहा मनुष्य को कभी अपना घर नही बनाना चाहिए।
1. मान सम्मान
आप जिस जगह पर रहते हैं, वहा यदि आपको मान सम्मान न मिले बल्कि आपका अनादर हो तो ऐसी जगह पर रहने का कोई मतलब नहीं है। सफलता की पहली शर्त ही उचित सम्मान है। छवि खराब है या आप छवि खराब करने वाले लोगों के बीच रह रहे हैं तो आप कभी सफल नहीं हो सकते।
2. बंधु बांधव
यदि आप ऐसी जगह पर रहते हैं जहा आपके घर के आस पास आपका कोई बंधु बांधव अर्थात आपका कोई दोस्त, भाई, रिस्तेदार या समाजन नही रहते तो उस स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए। क्योंकि जरूरत पड़ने पर कोई आपके साथ खड़ा होने वाला नही होगा।
3. रोजगार
यदि आपके गांव, कस्बे या शहर में आजीविका चलाने के लिए रोजगार ही नही है या धन कमाने का कोई माध्यम नही है तो आपके वहा रहने का मतलब क्या है, क्योंकि जीवन पैसों के बिना नहीं चलता।
4. शिक्षा
आप जहा भी रहते हो वहा कोई पाठशाला न हो या पढ़ाई लिखाई शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता हो तो ऐसी जगह पर रहना व्यर्थ है। शिक्षा के बगैर बच्चों का जीवन और भविष्य अंधकार में चला जाएगा।
5. गुण
जिस जगह पर स्कूली शिक्षा के अलावा सीखने लायक कुछ भी न हो, ऐसी जगह को भी छोड़ देना चाहिए। क्योंकि मानसिक और शारीरिक विकास के साथ साथ व्यक्तित्व और गुणों का विकास भी जरूरी है। ये सभी कलाओं को सीखने से प्राप्त होता है।