Chanakya Niti: जीवन में हमेशा रखें चाणक्य की इस बात का ध्यान, फिर जिंदगी में कभी नहीं आएगी कोई संकट

आज के आधुनिक युग में चाणक्य नीति का अनुपालन करने वालों की संख्या इतनी है कि उसका अनुमान कर पाना संभव नहीं है। कारण यह है कि आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है, ने राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र के ऐसे नियमों व सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है जो मानव समाज के व्यवहारिक जीवन के भूत, वर्तमान व भविष्य में सच साबित हो रहे हैं।

Chanakya Niti
WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now

आज की युवा पीढ़ी जिसके सामने करियर और सफलता प्राप्त करने की कई चुनौतियां होती है, आचार्य चाणक्य के सिद्धांतों व नियमों को अपना आदर्श मानकर उनका अनुसरण कर रही है। चाणक्य अपनी नीति में यह बताया है कि मनुष्य अपनी जिंदगी में आने वाली समस्याओं से कैसे बच सकता है।

आचार्य चाणक्य के इस बात का हमेशा रखें ध्यान

आचार्य ने राजनीति, अर्थनीति और कूटनीति के अलावा जीवन में आने वाली चुनौतियों और उनसे सचेत रहने के उपायों को भी बड़ी सहजता से अपनी कुछ उक्तियों और श्लोकों में स्पष्ट किया है जिसके बारे में हर मनुष्य को अच्छी तरह मालूम होना चाहिए।

इस संदर्भ में आचार्य के कुछ श्लोकों का उल्लेख प्रासंगिक है –

शकटं पंचहस्तेन दशहस्तेन वाजिनम्।
हस्तिनं शतहस्तेन देशत्यागेन दुर्जनम्।।

आचार्य के उपरोक्त श्लोक का भावार्थ है कि किसी भी व्यक्ति को बैलगाड़ी से पांच हाथ, घोड़े से दस हाथ और हाथी से सौ हाथ दूर रहना चाहिए। पर यदि किसी दुष्ट या दुर्भावना वाले व्यक्ति का साथ हो जाए तो उससे छुटकारा पाने के लिए देश भी छोड़ना पड़े तो ऐसा करने से तनिक भी पीछे नहीं हटना चाहिए। क्योंकि बुरे व्यक्ति की संगत से जीवन का वर्तमान और भविष्य संकटों से घिरा रहेगा। अतः ऐसी संगत से हर संभव दूरी बना लेना श्रेयस्कर है।

नात्यन्तं सरलेन भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपा:।।

आचार्य चाणक्य के इस श्लोक का निहितार्थ यह है कि किसी भी व्यक्ति को स्वभाव से बहुत सरल व सीधा नहीं होना चाहिए। क्योंकि ऐसे व्यक्ति को बहला-फुसलाकर उसका अनुचित लाभ उठाने वाले हमेशा मौजूद रहते हैं। जैसे जंगल में सीधे खड़े वृक्षों को बड़ी सुगमता से काट दिया जाता है पर जो वृक्ष मुड़े हुए और जटिल आकार वाले होते हैं, उन्हें काटना आसान नहीं होता अतः वह कटने से बच जाते हैं। ठीक उसी प्रकार जो व्यक्ति स्वभाव से चालाक व सजग होगा, वह सामने वाले की मंशा व स्वभाव को समझ लेगा और उसी अनुसार व्यवहार करेगा।

error: Alert: Content selection is disabled!!