Chanakya Niti: चाणक्य के अनुसार बूढ़े पुरुष के लिए विष के समान होती हैं ऐसी महिलाएं, जानिए ऐसा क्यों?

आचार्य चाणक्य एक शिक्षक, लेखक, रणनीतिकार, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, न्यायविद और शाही सलाहकार के रूप में सक्रिय थे। उन्हें परंपरागत रूप से कौटिल्य या विष्णुगुप्त के रूप में पहचाना जाता है, जिन्होंने प्राचीन भारतीय राजनीतिक ग्रंथ, अर्थशास्त्र को लिखा था, जो मोटे तौर पर चौथी शताब्दी ईसा पूर्व और तीसरी शताब्दी सीई के बीच का एक पाठ है।

Chanakya Niti

उन्हें भारत में राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र का अग्रणी माना जाता है, और उनके काम को शास्त्रीय अर्थशास्त्र के लिए एक महत्वपूर्ण अग्रदूत माना जाता है।

321 ईसा पूर्व के आसपास, चाणक्य ने सत्ता में आने के लिए पहले मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त की सहायता की और मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए व्यापक रूप से उन्हें श्रेय दिया जाता है। चाणक्य ने सम्राट चंद्रगुप्त और उनके पुत्र बिंदुसार दोनों के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य किया।

चाणक्य की सलाह और नीतियां अक्सर मानव जीवन को सफल बनाने की ओर अग्रसर होती हैं। उन्होंने अपनी नीति ग्रंथ में कई बातों का उल्लेख किया है, जिन्हें अपनाये जाने से मानव जीवन सफल हो सकता है। आचार्य चाणक्य ने वृद्ध व्यक्तियों के लिये भी कुछ संदेश दिये हैं, जिसके बारे में हम आज बात करने वाले हैं।

अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्।

दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।

आचार्य चाणक्य के अनुसार इस श्लोक का अर्थ है – जैसे अभ्यास के बिना शास्त्र विष के सामन होता है, भोजन के पूरी तरह से पचे बिना फिर से भोजन करना विष के समान होता है, निर्धन और दरिद्र के लिए समाज में रहना विष के समान होता है उसी प्रकार बूढ़े पुरुष के लिए एक युवति जहर के बराबर होती है।

आचार्य चाणक्य के इस श्लोक के अनुसार मनुष्यों को ज्ञान प्राप्त करने के लिये लगातार अभ्यास करना चाहिए। धा अधूरा ज्ञान हमेशा हानिकारक होता है और जहर के समान होता है। वहीं, आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब पेट खराब हो तो ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिये। ये विष की तरह काम करेगा और आपको कष्ट देगा।

दरिद्र लोगों की भी इस दुनिया में कोई कीमत नहीं है। उनसे सभी घृणा करते हैं। बुढ़े व्यक्ति को लेकर आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बूढ़ा आदमी अगर कम उम्र की लड़की से शादी कर ले, तो ये उसके शेष जीवन के लिये कष्टदायी हो जाता है। दोनों में समानता नहीं होती। बुढ़ापे में निर्बल व्यक्ति अपनी पत्नी की शारीरिक जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पायेगा, जिस वजह से वह पर पुरूष की तरफ आकर्षित होगी और ये अनुभव जहर के समान हो सकता है।

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