कुछ ही लोग होंने, जो शायद आचार्य चाणक्य को नहीं जानते होंगे या उनके बारे में पढ़ा नहीं होगा। आचार्य चाणक्य राजनीतिक रणनीति, शासन, प्रबंधन कौशल इन सभी में उत्कृष्ट थे। इन्हीं के दिखाये मार्गों पर चलते हुए चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश का सफाया कर मौर्य वंश की स्थापना की थी। आचार्य चाणक्य के विचार और नीतियां हमेशा इंसान को सफलती की मंजिल तक ही पहुंचाती हैं। उनकी बतायी बातें, तो अब भी लोग मानते हैं।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति चाणक्य की नीतिय़ों को अपनी जिंदगी में अपना ले, उसे सफल होने से नहीं रोका जा सकता। गृहस्थी हो या बच्चों का लालन-पालन, जवानी हो या विवाह और या फिर पैसों का इस्तेमाल, सभी को लेकर आचार्य चाणक्य ने लोगों का मार्गदर्शन किया है।
आचार्य चाणक्य ने ये भी बताया है कि कैसे मनुष्य अपनी ही भूल के कारण राजा से रंक बन जाता है और राजा बनने के बाद भी खुद को उस पद पर बनाये नहीं रख पाता। कई ऐसे लोग होते हैं, जो अचानक से उनके पास पैसा आ जाने पर गलतियां कर बैठते हैं जिससे कि पैसा उनके पास टिकता नहीं, लेकिन अगर व्यक्ति वो गलतियां ना करे, तो वो इस समस्या से बच सकता है। आइये जानते हैं इस बारे में आचार्य चाणक्य का क्या मानना था।
आय से कम हो व्यय
आचार्य चाणक्य का मानना था कि इंसान को उतने ही पैर फैलाने चाहिये, जितनी बड़ी उसकी चादर हो। यानी कि आप जितना कमाते हैं, उससे आपके खर्चे कम होने चाहिये। अगर हमारा व्यय हमारी आय से अधिक होगा, तो आगे चल कर हमें कर्ज का बोझ ढोना पड़ सकता है। इसलिये पैसों का खर्च करने से पहले एक बजट बना लें। अपने खर्चों को जरूरतों के हिसाब से मैनेज करें। जो जरूरी है, पहले उन पर खर्च करें।
2. बुरे दिनों के लिए करें बचत
जब भी अचानक से किसी व्यक्ति के पास पैसा आ जाता है, तो वो फालतू के खर्चों में वो सारे पैसे खर्च कर देता है, जबक् चाणक्य का कहना था कि व्यक्ति को आपात स्थिति और अप्रत्याशित खर्चों के लिए पैसे बचाने चाहिये। जीवन में इंसान का वक्त कभी भी अच्छे से बुरा हो सकता है। इस लिये बुरे वक्त के लिये हमें अपनी आय में से कुछ बचत जरूर करनी चाहिए।
3. अनुशासन में रह कर करें धन का उपयोग
चाणक्य का मानना था कि जब वित्त प्रबंधन की बात आती है तो अनुशासन महत्वपूर्ण होता है। व्यक्ति को फालतू खर्चों से बचना चाहिए और बजट पर टिके रहना चाहिए। जो रूपये आज आप फालतू की चीजों पर खर्च करेंगे, वो भविष्य में आपके किसी जरूरी काम में आ सकते हैं।
4. विलासिता नहीं सादा जीवन अपनाएं
चाणक्य का मानना था कि सादा जीवन जीने से अनावश्यक खर्चों को कम करने और पैसे बचाने में मदद मिल सकती है। इस वजह से विलासिता जीवन जीने की जगह सादा जीवन जीने का प्रयास करें, क्योंकि इससे आपकी आर्थिक स्थिति खराब नहीं होगी।