अगर हम आपसे कहे कि आपको बिना जूते-चप्पल के रहना है, चाहे धूप हो, बारिश हो या फिर ठंड तो आपको बहुत अजीब लगेगा। अगर आपकी तबियत खराब हो जाती है तब हम आपसे अस्पताल जाने से रोकेंगे तब आपको बहुत गुस्सा आएगा। अगर हम ऐसा किसी को कहते हैं तो वो हमें पागल समझेंगे।
लेकिन अगर हम आपसे कहे कि इस दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जो बिना जूते चप्पलो के रहते हैं और बीमारी में अस्पताल भी नही जाते हैं तो आपको सुनकर हैरानी जरूर होगी। लेकिन यह बात सौ प्रतिशत सच है। हम एक या दो लोग की बात नहीं कर रहे है, बल्कि एक पूरा गांव ऐसा है जहां के लोग न तो जूते चप्पल पहनते हैं और न ही बीमार होने पर अस्पताल जाते हैं।
इस गांव के लोग नहीं पहनते जूते-चप्पल
ये गांव कही और नही बल्कि हमारे देश भारत में ही स्थित है। इस गांव की एक और खास बात यह है कि अगर यहा कोई मंत्री या सरकारी अफसर भी जाता है, तो वह भी अपने जूते या चप्पल उतार कर ही गांव के अंदर जाता है। इस अनोखे गांव का नाम है वेमना इंदलु, जो कि भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में पड़ता है।
भारत देश के अलग अलग जगह की अलग अलग कहानियां। यू तो जूते चप्पल पहनना आज की डेली लाइफ का एक हिस्सा है लेकिन क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते है, नही। गांव वालों के ऐसा करने के पीछे एक मान्यता है। जैसे जो भी पवित्र स्थान होता है, वहा हम जूते उतार कर जाते है, जैसे कि मंदिर में।
घर में भी हम कहते है कि अगर जूते उतार कर जाए तो लक्ष्मी जी निवास करती है। गांव वालों का मानना है कि गांव भी उनके लिए घर के समान ही है। यही कारण है कि गांव वाले जो कोई भी गांव में आता है, उन्हें गांव की बाउंडरी के बाहर ही जूते उतारने को कह देते हैं।
इस गांव में सभी लोग नंगे पैर ही घूमते हैं और उनके लिए यह कोई नई बात नहीं है। यह यहा की मान्यता है और यहा के लोग बड़े गर्व से इस रिवाज को फॉलो करते हैं। अगर कोई गेस्ट के रूप में भी इस गांव में जाता है तो उन्हें भी इस रिवाज को मानना पड़ता है।
इतना ही नही, यहा के लोग बीमार पड़ने पर इलाज के लिए अस्पताल भी नही जाते, बल्कि भगवान की पूजा करते है। खबरों के मुताबिक, गांव में एक नीम का वृक्ष है, लोग बीमार होने पर उसकी परिक्रमा कर लेते हैं।