भारत का एक ऐसा मंदिर जहां की मिट्टी खाने से सांप काटने का असर हो जाता है कम, जानिए उस मंदिर का नाम

छत्तीसगढ़ राज्य के सक्ती जिले के कैथा गांव के विषय में एक कहानी प्रचलित है जिसके अनुसार गांव के जमींदार ने एक सांप के जीवन की रक्षा की थी जिससे प्रसन्न होकर नाग देवता ने पूरे गांव को सर्प दंश से मुक्ति का वरदान दे दिया जिसके अनुसार उक्त गांव की मिट्टी खिलाने मात्र से ही सांप काटे हुए व्यक्ति का जहर उतर जाएगा।

प्रायः जब किसी को सांप काट लेता है तो या तो लोग डॉक्टर के पास भागते हैं या गांव देहात के लोग सांप का विष झाड़ने वाले के पास जाते हैं। लेकिन आपको यह जानकर अचरज होगा कि एक ऐसा भी गांव है जहां के लोग सांप काटने पर ना किसी डॉक्टर के पास जाते हैं और ना ही किसी ओझा के पास क्योंकि उस गांव की मिट्टी में ही यह वरदान है कि उसको खाने से ही सर्पदंश उतर जाएगा। आज हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं एक ऐसे ही गांव और वहां के शिव मंदिर के मिट्टी की जिसे नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त है।

बिरतिया बाबा का मंदिर (छत्तीसगढ़)

बिरतिया बाबा का मंदिर छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के कैथा गांव में स्थित है। यहां के विषय में ये मान्यता है कि इस स्थान की मिट्टी खिला देने मात्र से जहरीले से जहरीले सांप का विष उतर जाता है। बिरतिया बाबा के मंदिर में नाग पंचमी के दिन बाबा व नाग देवता की पूजा के लिए भक्तों की अपार भीड़ होती है। इस सिद्धपीठ मंदिर में लोग दूरदराज से पूजन अर्चन के लिए आते हैं।

मान्यता

इस गांव के पुरनियों के अनुसार कई वर्षों पहले इस गांव के एक जमींदार ने एक सर्प के जीवन की रक्षा की थी जिससे प्रसन्न होकर नाग देवता ने इस गांव को यह वरदान दिया कि सांप के काटे हुए व्यक्ति को इस गांव की मिट्टी खिलाने से वह सर्पदंश मुक्त हो जाएगा। यह घटना संभवतः इस शिव मंदिर की आस पास की रही होगी इसलिए लोगों का मानना है कि यहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन मात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।

दूर दराज से पहुंचते हैं भक्त

नाग पंचमी के दिन बिरतिया बाबा और नाग देवता की पूजा के लिए यहां कतारबद्ध होकर भक्त एकत्र होते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि सांप काटे हुए हुए व्यक्ति को यदि समय रहते गांव की सीमा में लाकर यहां की मिट्टी खिला दी जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। कैथा गांव की आस्था व महत्ता का यह आलम है कि गांव की मिट्टी श्रद्धालु अपने साथ घर ले जाते हैं ताकि आकस्मिक परिस्थितियों में उसका उपयोग किया जा सके।